इसी के तहत 1980 के दशक में द्वादश ज्योर्तिलिंगों में एक झारखंड के देवघर में स्थित कामनालिंग की विशेषता को लेकर गांगाधाम बनायी गयी। इस फिल्म में कांवड़ यात्रा से जुड़ा गीत- मोर भंगिया को मनायी ले, ओ भोलेनाथ मौर जोगिया को मनायी ले, बोलबम .. बोलबम। यह एकमात्र ऐसा गाना है, जो पावन सावन के आते ही सुल्तानगंज से लेकर 105 किलो मीटर देवघर तक पूरे कांवड़िया मार्ग में भोलेनाथ से जुड़े अन्य गीतों के साथ सुनायी देता है। इस गीत को सुनकर कांधे पर कावड़ लिये तीर्थ यात्रियों के समूह झूमने लगते हैं। उनके कदमों की चाल स्वत बढ़ जाती है।
दरअसल ढाई दशक पहले भोजपुरी फिल्मों के फाउन्डर रहे गिरिहीह (झारखंड) के फिल्म निर्माता बीपी शाहाबादी ने निर्मल पिक्चर्स के बैनर तले गंगाधाम बनायी थी। निर्माता-निदेशक का फिल्म बनाने के पीछे बाबा बैद्यनाथ की महिमा और कावड़ यात्रा को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का उद्देश्य था, जो आपार सफलता के साथ ही पूरा हुआ। निर्मल पिक्चर्स परिवार के अभय कुमार शाहाबादी ने बताया कि सन 1979 में फिल्म रिलीज हुई थी। जिसके निर्माता उनके पिता बीपी शाहाबादी थे। फिल्म में मुख्य कलाकार के रूप में धारावाहिक रामायण के अभिनेता अरुण गोविल, अभिनेत्री नमिता चन्द्रा, शक्ति कपूर ने निभायी थी। शक्ति कपूर को फिल्म में पहला ब्रेक मिला था। फिल्म के गीत इंदीवर अंजाम ने लिखे थे। संगीतकार सपन जगमोहन थे। माना जाता है कि देवघर की महिमा और सुल्तानगंज की उत्तर वाहिनी गंगा को लेकर बनने वाली पहली फिल्म थी। जिसकी आउटडोर शूटिंग सुल्तानगंज, देवघर और गिरिडीह के पर्यटक स्थलों पर हुई थी। फिल्म इतनी सुपरहिट हुई कि ढाई दशक बाद आज भी पूरे सावन मास में इस फिल्म के गाने बजते है और कावड़ यात्रा पर जाने वाले तीर्थ यात्रियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। धर्मग्रन्थों में कहा गया है कि देशभर के 12 ज्योर्तिलिंगों में देवघर एकमात्र ऐसा ज्योर्तिलिंग है, जहां शिव और शक्ति की अराधना की जाती है।
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